आप सभी को मेरा नमस्कार वैसे तो ये विषय ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता परंतु यह बहुत महत्वपुर्ण विषय है। आज हमारे भारत में भी इसकी बहुत कमी होती जा रही है , मै अपने बड़े भाई राहुल भैया की कहानी से समझाता हूं। आज सुबह की बात है, वो सुबह - सुबह दौड़ने अपना वजन घटाने के लिए जाते हैं, उनके साथ मेरे पिता जी भी जाते हैं। मेरे एक Head constable , और उनके साथ उनके बड़े साहब Assitant commandent of PAC थे। तभी उनके सामने से AC sir का बेटा उन दोनों के सामने आए और पिता का अभिवादन नमस्ते से किया ,परंतु कुछ देर बाद राहुल भैया उन्हीं दोनों के सामने से A.C sir और मेरे भैया ने भी एक दुसरो को देखा लेकिन उन्होंने उन्हें नमस्ते तक का अभिवादन नहीं किया। यह देखकर मेरे पिता का सिर झुक गया ,वो दौड़ने के बाद राहुल भैया को कहने लगे ," बेटा मेरे Commandent sir ने हमेशा से कहा कि शरीर से दरिद्र हो कोई बात नहीं, परंतु कभी भी मुख से दरिद्र मत बनो, अर्थात् आपको हमेशा से ही बड़ों को प्रणाम सुनिश्चित करना चाहिए जिससे वो एक सभ्य घर का मानते हैं। तभी से मेरे राहुल भैया मेरे पिता जी की उस बात को ...
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